एक तू ही तो मुहब्बत करती है मुझसे
जिसपे ये दिल नाज करता है
इतनी बड़ी दुनिया में
मेरी कौन फरीयाद सुनता है
Tuesday 29 December 2015
Dil ki 30
Dil ki 29
कोई याद कर रहा है कि नींद नहीं आ रही
नीद नहीं आ रही कि मेरे ख्वाब जाग गये हैं
रात की तनहाई में मेरे बीते दिन पास आ गए हैं
सोचने को मजबूर हैं ऐ वक्त क्यूँ थम गया है ।
लगता है ये अधेरी रातों का तकाजा है
मेरे गमों को खुरेदने का
अकेला कर के मुझ पे हसने का
बेरहम रात की कोशिश तो देखो
खुद चमक कर तारों के साथ
पुछा अब कौन है तेरे साथ
मैने भी मुसकुरा कर कह दिया
जो मेरी तरह गिनती है तुमको
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