कोई याद कर रहा है कि नींद नहीं आ रही
नीद नहीं आ रही कि मेरे ख्वाब जाग गये हैं
रात की तनहाई में मेरे बीते दिन पास आ गए हैं
सोचने को मजबूर हैं ऐ वक्त क्यूँ थम गया है ।
लगता है ये अधेरी रातों का तकाजा है
मेरे गमों को खुरेदने का
अकेला कर के मुझ पे हसने का
बेरहम रात की कोशिश तो देखो
खुद चमक कर तारों के साथ
पुछा अब कौन है तेरे साथ
मैने भी मुसकुरा कर कह दिया
जो मेरी तरह गिनती है तुमको
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