Tuesday 29 December 2015

Dil ki 30

एक तू ही तो मुहब्बत करती है मुझसे
जिसपे ये दिल नाज करता है
इतनी बड़ी दुनिया में
मेरी कौन फरीयाद सुनता है





Dil ki 29

कोई याद कर रहा है कि नींद नहीं आ रही
नीद नहीं आ रही कि मेरे ख्वाब जाग गये हैं
रात की तनहाई में मेरे बीते दिन पास आ गए हैं
सोचने को मजबूर हैं ऐ वक्त क्यूँ थम गया है ।

लगता है ये अधेरी रातों का तकाजा है
मेरे गमों को खुरेदने का
अकेला कर के मुझ पे हसने का

बेरहम रात की कोशिश तो देखो
खुद चमक कर तारों के साथ
पुछा  अब कौन है तेरे साथ
मैने भी मुसकुरा कर कह दिया
जो मेरी तरह गिनती है तुमको

Sunday 27 September 2015

Dil ki 28

हमने उन्हें पैगाम भेजा,
खत में  उसने ना , दिल से हा भेजा,
समझू क्या  मै इस जवाब को ,
ख्वाबों  मे तरंगों का उसने जज्बात भेजा ।
जिन्दगी में कितनों को  ऐसे एहसास मिले होगे,
सायद इसी तरह कितने प्यार में  खोये  होगे ,

मेरी वफाओ की कददृ तूमको अभी ना हो,
बाद में तुम अपने ही दिल को समझाओगी,
मिलूंगा वहीं, जहाँ छोड़ के जाओगी,
झूठी तसल्ली, खुद को रिस्तो में बधा पाओगी ।

प्यार करने का दर्द किसको नहीं मिला,
किसी को पहले किसी को बाद में मिला,
पहले वाले पर दुनिया क्यू सवाल करती,
बाद वाले पर क्यूँ नाज करती?









Friday 25 September 2015

Dil ki27

Kahatey hai ki koi kisi pay q aitbar q nahi karta,
us jaalim se pooch jo muskura kar tamasa dekhta hai,
mainey samjhaya bahut apney dil ko,
phir bhi dil ushi par eytbar karta hai.

rooj rooj k  unki adwo ko peeny ki aadat see pad gaee ,
Shukr hai khuda ka ki unki nazar to paadi.

Saturday 13 June 2015

Dil se 26

जिन्दगी में अगर तवायफ होती,
तो तू सायद मेरे साथ ना होती,
दिल के बाजार में दिल टूटने की बात ना होती,
रोज  तेरी याद में, ये शाम अधुरी ना होती।

हर जख्म पर कोई नयी कहानी ना होती,
हर बार इक नयी बोतल मेरे साथ होती,
देके मीठा  दर्द  मेरी जिन्दगी में,
तूझसे अच्छी कोई बात ना होती ।

Wednesday 10 June 2015

Dil se 25

Mai aadmi hooon,
Dil kholkar ro nahi sakata.
Apna dard chipa bhi nahi sakata. ,
Manjilo par chalaney par ufff kar bhi nahi sakata.
Quki
Mai aadmi hooon.
Bahut kam charchey hai Apni jindagi k,
Phir bhi Kisi koney mai chhip bhi nahi sakata,
Logo ne utsah bana rakha hai,
Esliye Apni barbadi dikha nahi sakata.
dost ban jaatey hai har safar phir bhi,
Dosto k saath rah bhi nahi sakata.
Badhaye ho lakh phir bhi,
Aadmi Hu aa dam chal to sakata hooon.

Dil se 24

Mera ye guroor hai ki  tu mujhey door hai,
Meri chahato se jyada unki nafrato ka  suroor hai,
Unki khamosiyo mai ka jo jaam hai,
Esliye sareaam ham badnaam hai,
Wakt dhaltey dhaltey ek mode par aa ruki, jaha hamarey milney ki as jaag uthi,
Unki khamoshi meri tanhaeeyo ne jabab de deya,
Pukarney lagee saaso ki rafter ne, bhandhano tood diya,
Khojaney lage aasman mai nisaniya,
Band aakho mai hamney saara jaha paa liya.

Dil se 23

Kya khoob nikali hai mere aramano ki dhooli,
Jaati ho tum chalti hai gooli,
Palat kar jo tumney dekha,
Nikal gaee booli.
Jaa rahey ho phir bhi yaad rakhna,
Kisi kaam aa saka to na karana aanakani, apna samjh kar apnney dil ko samhaley rakhna,
Apni hi mahafil mai jajbaato ko samhaley rakhna.

Dil se 22

Meri tammana tu meri aaraju tu,
Mere jeeny ka Sahara tu,
Kuch pal hi sahi, gam Mey jeeny ka Sahara tu,
Na janey q Lagata khud se hee begana mai,
Teri judaee ka jendagi ka kinara mai.

Monday 8 June 2015

Dil se 21

Meri khwohis thhi ki Meri aaraju thhi,
Sapno se jyada jindagi thhi Meri,
Bikhartey thhey aakho se  moti uske,
Tadaftey thhi jindagi Meri.

Thursday 4 June 2015

Dil ki 20

Sammj ke bandan mai tu bhi badh gaee  mai bhi badh gaya,
Naseeb mai jo thaa tere o mujhko bhi mil gaya,
Harkato ko samjhatey rahey duniya waley,
Dil ki thodi see na sun sakey duniya waley.
Kya mila jo duoor karke dil ko,
Jhoothi se khushi mili, sapno ko na sajhaney walo ko.

Wednesday 3 June 2015

Dil ki 19

Koi mujhey yaad kar raha es kadar
Ki raato ki need chuutgaee ,
Dadakaney lagee dil ki dadakan,
mjhmaey khamoshi bhar gaee.
Scoch sakata huooon ki aawaj nahi kar sakata,
Adherey mai kuch aabhaso ko samjh sakata huooon.

Dil ki 18

Kuch pal bitata huooon ,
Ki saam aa jayegi  ,
Teri khamosiyo mai ,
Kuch to jaan aa jayegi .
dekh nahi sakata Teri ey bebasi ,
Esliye har saam ko gumnaam bana Li.

Saturday 14 February 2015

dil ki17-1

आख़िर क्यू प्यार को इजहार की जरूरत पड़ी ,यह एक निछल प्रेम को संदेह के घेरे मे लाती है। आज के मॉडर्न युग मे यह एक खेल बन गया है ,अगर १४ फरवरी को इजहार नहीं करते तो यह (प्यार)अधूरा माना जायेगा।
एक समय था जब दिल की बाद को दिल से समझते थे ,अब समझ कर भी अनदेखा कर देते है। क्या ए जरूरी है हमारे आने वाले समय के लिए ,निस्चय ही हम बहुत बड़ी समस्या से रूबरू होंगे ,हम बदलाव ला सकते है लेकिन लायेगे नहीं ,क्यू की प्यार अँधा होता है इसलिये आदमी अँधा हो जाता है।
एक गाना याद आया (,प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो ) ,लेकिन आज के दिन नाम लेना जरूरी हो गया है ,अच्छा भी है कम से कम हम कईयों को धोखा तो नहीं दे पा रहे है ,खुद ही इस चक्र्व्वोह मे फ़साने लगे ,मैने fb पर एक पोस्ट देखी सरदार भगत सिंह को दर्शा कर कहा गया की हमे भूल ना जाना आज के दिन ही फांशी की सजा सुनाई गयी थी। एक सच्चा प्रेमी जो अपना प्रेम दर्शा गया। हम ऐसा नहीं कर पा रहे क्यू की हम प्यार को जो परिभासित करने लगे ,दिल की तरंगो पर भी सक करने लगे ,इसलिए हमारा दिल एंड दिमाग संकुचित हो गया।
  
            कहीं कहीं कार्टूनों मे वेलेंटाइन को बेलन टाइट बताया गया ,पति को मार कर बेलन टागं दिया गया।,हो गया वेलेंटाइन। अछा है कलम वाली बाई भी ,वेलेंटाइन पर छूटी पर गयी होगी। कुछ भी हो हर साल तो आता ही है वेलेंटाइन अबकी नहीं तो अगले साल मनाएंगे ,लेकिन दिल को संकुचित रख कर नहीं।

          

Monday 2 February 2015

dil ki16(saath na.....)

साथ न छूटे प्यार ना टूटे,

दिलो के बीच ,घरद्वार ना टूटे ,

दो पल की ज़िन्दगानी मे ,

पलकों से कभी आँसू ना रूठे।

कम भी नहीं ,कुछ ज्यादा भी नहीं ,

प्यार भरे आँगन से,भवन कुछ नहीं ,

इंसानियत का जज्बा हो,

मूक ना बने ,ना दर्सक हो ,

कुछ कहने  सुनने की फ़रमाइश हो ,

हरपल जिंदगी मे कुछ अंगड़ाई हो।




dil ki15(likhaney ko log kuch bhi likh jaatey)

लिखने को लोग कुछ भी लिख जाते ,
कुछ के पढ़े जाते ,कुछ बंद पन्नो मे दबे रह जाते है।
भावनावो  का पूरा जहाँ ,धुँधली तस्वीर रह जाती है ,
सोचते रहने को पूरी उम्मीद निखार आती है ,
फर्क क्या पड़ेगा ,सोच कितनी बदलेगी ,
आखिरी लम्हों मे ,पूरी कायनात उलझेगी ,
जीते जी चंद लोग जी पाते है ,
आपको समझने को ,पन्ने भी उलझ जाते है।
शुक्र है खुदा का ,जिसने तीसरा जहाँ बनाया ,
निकल कर अपनी जिंदगी से ,
कितनो ने अपना मुकाम बनाया ,
लिखने को लोग कुछ भी लिख जाते ,कुछ दिल को समझ आते है ,कुछ मन मे बैठ जाते है।
सोचता हू ए जहाँ कितना बदनसीब होता ,
समझने को दिल ,सोचने को दिमाग ना होता ,
सजाते है सोचने वाले ,मन की अटखेलियाँ करते है ,
तरंगो की रेखा पकड़ ,शाम सुबह जलते है ,
नमन है उन सबका ,जो दूसरो की फ़िक्र करते है ,
जीवन का रंग बदरंग कर ,रंगीन ए जहाँ करते है।
लिखने को लोग कुछ भी लिख जाते ,
कुछ के पढ़े जाते ,कुछ बंद पन्नो मे दबे रह जाते है।
 

dil ki14 (jaaney waley ki aawaj)

बार बार जिंदगी ख्वाबो के  मुहाने पर जा कर सोचने को विवश करती है ,

बिछड़े हुए लोगो का  तरह सवाल बन कर उभड़ती है ,

कितनी जल्दी भूल जाते हो मुशफ़िर  अपनी मंजिल ,

रास्ते मिलेंगे कितने  हमारी तरह ,क्यू अभी से घबड़ाते हो।

हमने भी देखी थी तेरी ये दुनिया ,

कुछ मतलबी ,फरेबी ,दिलजलों ,वफ़ादार भरी चंचल बगियाँ ,

देख के चलना यहाँ नाहक़ ही झूठी भी शान बनाते है ,

तेरा बनेगा ठिकाना ,फुर्सत मिले तो हमे भी बताना ,

मिलोगे फिर हमसे इक मंजिल पर ,

जाते जाते कुछ नया इस दुनिया को दिखाना।





 

Sunday 1 February 2015

dil ki13

ना रोकती है अपने घर पर आने जाने वालो को ,
ना पूछती है पता यहाँ रुकने वालो की ,
 छुपाया सीने मे जख्मो को सीने मे ,
राज़ खोलती है  पीने वालो की।

नाम है मैख़ाना पर काम ए उम्दा करती ,
बोतलों मे बंद ,हर किसी का हिसाब रखती ,
बुलाती ना किसी को ,लोग चले आते आते है ,
आते है शाम को ,सुबह बुरा कहते है इसको।


 

Wednesday 28 January 2015

dil ki12(jiyara udas)

मन मोरे चंचल ,जियरा उदास ,

किससे कहे हम दिल की बात ,

धड़के जियरा ,लग रही प्यास ,

कैसे करे हम तोसे इज़हार। मन मोरे चंचल ,जियरा उदास। 

शाम सुबेरे रही मिलने की आश ,

कहाँ से करू मैं अब शुरुआत ,

देख देख कर जी घबड़ाए ,

नजरे टिकी मोहे सरम न आय। मन मोरे चंचल जियरा उदास। 

लोक लाज अब घर पर छोड़े ,

तोहरे संग अब नाता जोड़े ,

जो कछु पाये ले संग भागे ,

तोहरी डगर पर रस्ता मोड़े। मन मोरे चंचल जियरा उदास। 

देख दशा तोहरी हम जाने ,

तोहरी रतियाँ ,पर हम जागे ,

काम धाम सब चौपट लागे ,

जो तू कहे ओहि निक लागे। मन मोरे चंचल जियरा उदास। 



 

Tuesday 27 January 2015

dil ki11(mujhse naata jode liya)

मैने दिल से पुछा की तू चाहता क्या है ,

दिल ने कहा उसका  दीदार 

मैने धड़कन से पुछा तू करता क्या है 

धड़कन ने कहा उसका  इन्तजार 

सांसो से पुछा तू चलता क्यू है 

सांसो ने कहा  ,उस  तक पहुचने की आस 

ओ मिल गयी अचानक से एक दिन 

उसने पुछा तू चाहता क्या है ?

सब ने मिल कर पुछा की क्या यही है तेरा प्यार ,

मैं निशब्द हो ,घूरने लगा सबको ,

मैं दिखा तो नहीं सकता, 

आवाज़ नहीं लगा सकता ,

चुप भी नहीं रह सकता ,

थाम कर उनके हाथों को ,

नजरों का सहारा लिया। 

झूठ बोलेंगी क्या ओ मुझसे ,

जब नज़रो ने उनका ही साथ छोड़ दिया। 

गवाह बन दो मोती(आँसुओ ) ने 

मुझसे नाता जोड़ लिया। 

 

dil ki10

मुक़क्मल जहाँ के तलाश मे
मन व्चलित हो उठा ,
दिन कटे ,रात कटी
महीनो ,सालों बीत गए
अब कटती नहीं हैं रात  औ र  दिन
अब  तेरा सहारा भी झूठा लगने लगा।
मै तड़फता   रहू ,
तुम अपने को कोसती   रहो
ए सिलसिला कब तक चलता रहेगा ?
अंत होगा क्या ,
तेरे मेरे जज़बात का
अब नज़रे  भी ,
ख्याबो की तरह हो गए 
तू क्यू नहीं दुनिआदारी मे रम जाती
छोड़ के ख्याबो को
सब कुछ भूल जाती
मेरा क्या है ,मैं जी लूँगा
तेरे याद मे ए दम छोड़ दूँगा।




 

dil ki9

अपने मुहबब्त का अंजाम क्या होगा ?

नफ़रतों के बीच खुला आसमान होगा। 

सितारे भी पूछेगे ,

क्या मिला तमसा बनाकर 

दिल भी तड़फेगा ,

नाहक़ प्यार किया तुम्हे सताने को। 

 
 
 

Monday 26 January 2015

dil ki8@

दिल मे  यादो को साजो कर इक बसेरा बना रखा

दुनिया से दूर रहने का इक बहाना बना रखा 

दस्तक देता कोई अगर चुपके से उनकी यादें 

बदनाम हो ,उनके लिए किनारा बना रखा। 

 
 

गर भूल कर मज़लिस मे उनकी याद आई ,

अपने लिए इक तमासा बना रखा। 

कुछ कहे उनकी यादें 

उससे पहले ,

जाम को होटों पर लगा ,

मुस्कुराना सीख़ गया। 

 

dilki7

हर तरफ़ आधी है तूफान है ,
दिलो मई उठता कई  मुकाम है
अफसोस, खुशहाली ,गम इसका अंजाम है ,
शायद ,कस्ती को पार लगाने वाला ही प्यार है।

नफरतो ,को छोड़ने को कहती है सारी दुनिया
ना छोड़ने वालो का ही व्यापार है।
मतलबी नहीं बना इंसान दुनिया मे आ करके ,
अस्तित्व की लड़ाई मे ,प्यार से तौबा कर बैठा।

दोहरी जिंदगी जीनी पड़ गई कितनो को ,
चहारदीवारी मे, खुशियो को ,बेग़म बना बैठा।


                                                                          

dilki6

हर बार एक नई कोशिस करना चाहता हू ,ना जाने असफलता सामने क्यु आ जाती है। रोज हरपल खयाले आती है ,आ कर दरवाजे पर आ कर खड़ी  हो जाती है ,क्या किया तूने जिंदगी मे ?सोच के दिल भारी सा हो जाता है। कभी-कभी दिल की तरंगे उफ़ान मारती है ,सोचता हू कुछ कर सकता हू। फिर सोचता हु क्या करू ,जीवन को जंजाल समझु या कर्त्तव्य ,रोज कुछ न कुछ नया होता हैं। मैं उनमे कहाँ जगह बनाऊ ,नौकरी करू  या जीवन घर के लिये समर्पित कर दू। क्या मिलेगा जब नाम ही कुछ पीढ़ीओ के बाद घर के ही सदस्य भूल जाते है। जीवन को प्रेम के लिये बना दू  तो सायद कुछ सालो तक याद रह सकता हू.


                   आजकल हर जगह अस्तित्व की लड़ाई चल रही है ,कोई नाम और शोहरत के पीछे लगा है ,कोई अपने जीवन को रोटी की तलाश मे भटक रहा है ,ऒर गर्व से कहता है हम २१ शाताब्दी मे जी रहे है। नई नई क्रांतियाँ हो रही है ए हम सब जानते है ,लेकिन आदमी सेल्फिश होता जा रहा है ,आदमी अकेला पड़ता जा रहा है ,अपने अस्तित्व को तलासने के लिया सोसल  नेटवर्किंग  साइट पर ध्यान देता जा रहा है ,कही कोई अपना मिल जाये घंटो लगा रह रहा है। दोस किसका है?सायद  हम सबका है। 

Wednesday 14 January 2015

dillagi

जुल्मे सितम् हँसकर बिताएंगे हम
तेरे दिल मे घर बनाएगे हम
जिंदगी का हर लम्हा ना बन सकेगा तो क्या
हम तेरे सपनो का जहाँ बनाएंगे हम


                           इक अरसा बीत गया ,तुझे देखे हुए
                           इक सपना भी हुआ अब तुझे खोये हुए
                           लोग कहते है ,तू अब कमीना  बन गया
                            मैं समझाता हु की मैं तेरे ख्याबो मे हमसफ़र बन गया



                         

dil ki5

हर तरफ इक  चाँद होगा
हर इक का इक  मुकम्म्ल जहाँ होगा
अब सारी रात कोई बदनाम न होगा
तुमसे अछा कोई मेरा यार न होगा
तेरी दुआओ से हर कोई आबाद होगा
इसलिए तेरा मेरा साथ होगा
साथ ना छूटे गा हमारा
जहाँ कोई नाम ना होगा
तेरे संग मेरा नाम न होगा
फिर भी , तेरी यादोँ में ए दिल आबाद होगा। 

dik ki4

हर कदम चलना चाहा ,हर कदम रुकना चाहा
हर कदम दिल से दिल मिलाना चाहा
आएंगे कितने अवसर ,सोच के कितने बाग़ लगाना चाहा
ए घड़ी चलती रहेगी ,सोचते हुए कदम बढ़ना चाहा
                 
                  हम अपने सपनो के हक़ीक़त से ,कुछ साझा करना
                  इसलिय हमेशा एक दोस्त को  साथ  रखना  चाहा
                  
 

dil ki 3

अपने दिल की वथथा सुनावु किसको
जब हमसफ़र ही बदनाम कर दे
हर एक कसिस निकलती रही
जब हालत ही साथ छोड़ दे
     

              नफरतो की आधी हो या दिल की लगी हो
              उलझता कोरा दिल है
              मजबूरीओ के समन्दर मे ,मचलता मन है
              होने लगी दुर्दसा ,तो तड़फता दिल है
             ले ले के सिसकियाँ खोजता कोई तन है
 

Tuesday 6 January 2015

teri kami2

हालात-ऐ -जश्न  मे रुस्वाइयां फ़ैलगई 
दीदार जिनका करना चाहा,
वो खुद से दूर हो गयी ,
हमीं से है ,गिला भी ,
हमीं से मुहबब्त ,
हम ना कर सके उनकी मयख़ाने  मे शिरकत।

दस्तूरे ज़माने के साथ चलते रहेंगे
हम अपनी मुहबब्त के साथ दिल लगाते रहेंगे
अन्जाम क्या होगा मेरी दुनिया का
फ़िक्र ना कर तेरे संग दिल सजाते रहेंगे।


तुम भी इस ज़माने की  दस्तूर निभा रही हो

शायद,      

           इसलिए मेरे संग अपना दिल जला रही हो। 

Monday 5 January 2015

dil ki1

mera e blog swatantra vicharo ke prati samarpit hai jo mai na kaha skata hoon o syad ey poora kar de,aap sabhi ka shayoog prasansaneey hai.