हालात-ऐ -जश्न मे रुस्वाइयां फ़ैलगई
दीदार जिनका करना चाहा,
वो खुद से दूर हो गयी ,
हमीं से है ,गिला भी ,
हमीं से मुहबब्त ,
हम ना कर सके उनकी मयख़ाने मे शिरकत।
दस्तूरे ज़माने के साथ चलते रहेंगे
हम अपनी मुहबब्त के साथ दिल लगाते रहेंगे
अन्जाम क्या होगा मेरी दुनिया का
फ़िक्र ना कर तेरे संग दिल सजाते रहेंगे।
तुम भी इस ज़माने की दस्तूर निभा रही हो
शायद,
इसलिए मेरे संग अपना दिल जला रही हो।
दीदार जिनका करना चाहा,
वो खुद से दूर हो गयी ,
हमीं से है ,गिला भी ,
हमीं से मुहबब्त ,
हम ना कर सके उनकी मयख़ाने मे शिरकत।
दस्तूरे ज़माने के साथ चलते रहेंगे
हम अपनी मुहबब्त के साथ दिल लगाते रहेंगे
अन्जाम क्या होगा मेरी दुनिया का
फ़िक्र ना कर तेरे संग दिल सजाते रहेंगे।
तुम भी इस ज़माने की दस्तूर निभा रही हो
शायद,
इसलिए मेरे संग अपना दिल जला रही हो।
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