Saturday 14 February 2015

dil ki17-1

आख़िर क्यू प्यार को इजहार की जरूरत पड़ी ,यह एक निछल प्रेम को संदेह के घेरे मे लाती है। आज के मॉडर्न युग मे यह एक खेल बन गया है ,अगर १४ फरवरी को इजहार नहीं करते तो यह (प्यार)अधूरा माना जायेगा।
एक समय था जब दिल की बाद को दिल से समझते थे ,अब समझ कर भी अनदेखा कर देते है। क्या ए जरूरी है हमारे आने वाले समय के लिए ,निस्चय ही हम बहुत बड़ी समस्या से रूबरू होंगे ,हम बदलाव ला सकते है लेकिन लायेगे नहीं ,क्यू की प्यार अँधा होता है इसलिये आदमी अँधा हो जाता है।
एक गाना याद आया (,प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो ) ,लेकिन आज के दिन नाम लेना जरूरी हो गया है ,अच्छा भी है कम से कम हम कईयों को धोखा तो नहीं दे पा रहे है ,खुद ही इस चक्र्व्वोह मे फ़साने लगे ,मैने fb पर एक पोस्ट देखी सरदार भगत सिंह को दर्शा कर कहा गया की हमे भूल ना जाना आज के दिन ही फांशी की सजा सुनाई गयी थी। एक सच्चा प्रेमी जो अपना प्रेम दर्शा गया। हम ऐसा नहीं कर पा रहे क्यू की हम प्यार को जो परिभासित करने लगे ,दिल की तरंगो पर भी सक करने लगे ,इसलिए हमारा दिल एंड दिमाग संकुचित हो गया।
  
            कहीं कहीं कार्टूनों मे वेलेंटाइन को बेलन टाइट बताया गया ,पति को मार कर बेलन टागं दिया गया।,हो गया वेलेंटाइन। अछा है कलम वाली बाई भी ,वेलेंटाइन पर छूटी पर गयी होगी। कुछ भी हो हर साल तो आता ही है वेलेंटाइन अबकी नहीं तो अगले साल मनाएंगे ,लेकिन दिल को संकुचित रख कर नहीं।

          

Monday 2 February 2015

dil ki16(saath na.....)

साथ न छूटे प्यार ना टूटे,

दिलो के बीच ,घरद्वार ना टूटे ,

दो पल की ज़िन्दगानी मे ,

पलकों से कभी आँसू ना रूठे।

कम भी नहीं ,कुछ ज्यादा भी नहीं ,

प्यार भरे आँगन से,भवन कुछ नहीं ,

इंसानियत का जज्बा हो,

मूक ना बने ,ना दर्सक हो ,

कुछ कहने  सुनने की फ़रमाइश हो ,

हरपल जिंदगी मे कुछ अंगड़ाई हो।




dil ki15(likhaney ko log kuch bhi likh jaatey)

लिखने को लोग कुछ भी लिख जाते ,
कुछ के पढ़े जाते ,कुछ बंद पन्नो मे दबे रह जाते है।
भावनावो  का पूरा जहाँ ,धुँधली तस्वीर रह जाती है ,
सोचते रहने को पूरी उम्मीद निखार आती है ,
फर्क क्या पड़ेगा ,सोच कितनी बदलेगी ,
आखिरी लम्हों मे ,पूरी कायनात उलझेगी ,
जीते जी चंद लोग जी पाते है ,
आपको समझने को ,पन्ने भी उलझ जाते है।
शुक्र है खुदा का ,जिसने तीसरा जहाँ बनाया ,
निकल कर अपनी जिंदगी से ,
कितनो ने अपना मुकाम बनाया ,
लिखने को लोग कुछ भी लिख जाते ,कुछ दिल को समझ आते है ,कुछ मन मे बैठ जाते है।
सोचता हू ए जहाँ कितना बदनसीब होता ,
समझने को दिल ,सोचने को दिमाग ना होता ,
सजाते है सोचने वाले ,मन की अटखेलियाँ करते है ,
तरंगो की रेखा पकड़ ,शाम सुबह जलते है ,
नमन है उन सबका ,जो दूसरो की फ़िक्र करते है ,
जीवन का रंग बदरंग कर ,रंगीन ए जहाँ करते है।
लिखने को लोग कुछ भी लिख जाते ,
कुछ के पढ़े जाते ,कुछ बंद पन्नो मे दबे रह जाते है।
 

dil ki14 (jaaney waley ki aawaj)

बार बार जिंदगी ख्वाबो के  मुहाने पर जा कर सोचने को विवश करती है ,

बिछड़े हुए लोगो का  तरह सवाल बन कर उभड़ती है ,

कितनी जल्दी भूल जाते हो मुशफ़िर  अपनी मंजिल ,

रास्ते मिलेंगे कितने  हमारी तरह ,क्यू अभी से घबड़ाते हो।

हमने भी देखी थी तेरी ये दुनिया ,

कुछ मतलबी ,फरेबी ,दिलजलों ,वफ़ादार भरी चंचल बगियाँ ,

देख के चलना यहाँ नाहक़ ही झूठी भी शान बनाते है ,

तेरा बनेगा ठिकाना ,फुर्सत मिले तो हमे भी बताना ,

मिलोगे फिर हमसे इक मंजिल पर ,

जाते जाते कुछ नया इस दुनिया को दिखाना।





 

Sunday 1 February 2015

dil ki13

ना रोकती है अपने घर पर आने जाने वालो को ,
ना पूछती है पता यहाँ रुकने वालो की ,
 छुपाया सीने मे जख्मो को सीने मे ,
राज़ खोलती है  पीने वालो की।

नाम है मैख़ाना पर काम ए उम्दा करती ,
बोतलों मे बंद ,हर किसी का हिसाब रखती ,
बुलाती ना किसी को ,लोग चले आते आते है ,
आते है शाम को ,सुबह बुरा कहते है इसको।