Sunday 1 February 2015

dil ki13

ना रोकती है अपने घर पर आने जाने वालो को ,
ना पूछती है पता यहाँ रुकने वालो की ,
 छुपाया सीने मे जख्मो को सीने मे ,
राज़ खोलती है  पीने वालो की।

नाम है मैख़ाना पर काम ए उम्दा करती ,
बोतलों मे बंद ,हर किसी का हिसाब रखती ,
बुलाती ना किसी को ,लोग चले आते आते है ,
आते है शाम को ,सुबह बुरा कहते है इसको।


 

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