ना रोकती है अपने घर पर आने जाने वालो को ,
ना पूछती है पता यहाँ रुकने वालो की ,
छुपाया सीने मे जख्मो को सीने मे ,
राज़ खोलती है पीने वालो की।
नाम है मैख़ाना पर काम ए उम्दा करती ,
बोतलों मे बंद ,हर किसी का हिसाब रखती ,
बुलाती ना किसी को ,लोग चले आते आते है ,
आते है शाम को ,सुबह बुरा कहते है इसको।
ना पूछती है पता यहाँ रुकने वालो की ,
छुपाया सीने मे जख्मो को सीने मे ,
राज़ खोलती है पीने वालो की।
नाम है मैख़ाना पर काम ए उम्दा करती ,
बोतलों मे बंद ,हर किसी का हिसाब रखती ,
बुलाती ना किसी को ,लोग चले आते आते है ,
आते है शाम को ,सुबह बुरा कहते है इसको।
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