आख़िर क्यू प्यार को इजहार की जरूरत पड़ी ,यह एक निछल प्रेम को संदेह के घेरे मे लाती है। आज के मॉडर्न युग मे यह एक खेल बन गया है ,अगर १४ फरवरी को इजहार नहीं करते तो यह (प्यार)अधूरा माना जायेगा।
एक समय था जब दिल की बाद को दिल से समझते थे ,अब समझ कर भी अनदेखा कर देते है। क्या ए जरूरी है हमारे आने वाले समय के लिए ,निस्चय ही हम बहुत बड़ी समस्या से रूबरू होंगे ,हम बदलाव ला सकते है लेकिन लायेगे नहीं ,क्यू की प्यार अँधा होता है इसलिये आदमी अँधा हो जाता है।
एक गाना याद आया (,प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो ) ,लेकिन आज के दिन नाम लेना जरूरी हो गया है ,अच्छा भी है कम से कम हम कईयों को धोखा तो नहीं दे पा रहे है ,खुद ही इस चक्र्व्वोह मे फ़साने लगे ,मैने fb पर एक पोस्ट देखी सरदार भगत सिंह को दर्शा कर कहा गया की हमे भूल ना जाना आज के दिन ही फांशी की सजा सुनाई गयी थी। एक सच्चा प्रेमी जो अपना प्रेम दर्शा गया। हम ऐसा नहीं कर पा रहे क्यू की हम प्यार को जो परिभासित करने लगे ,दिल की तरंगो पर भी सक करने लगे ,इसलिए हमारा दिल एंड दिमाग संकुचित हो गया।
कहीं कहीं कार्टूनों मे वेलेंटाइन को बेलन टाइट बताया गया ,पति को मार कर बेलन टागं दिया गया।,हो गया वेलेंटाइन। अछा है कलम वाली बाई भी ,वेलेंटाइन पर छूटी पर गयी होगी। कुछ भी हो हर साल तो आता ही है वेलेंटाइन अबकी नहीं तो अगले साल मनाएंगे ,लेकिन दिल को संकुचित रख कर नहीं।
एक समय था जब दिल की बाद को दिल से समझते थे ,अब समझ कर भी अनदेखा कर देते है। क्या ए जरूरी है हमारे आने वाले समय के लिए ,निस्चय ही हम बहुत बड़ी समस्या से रूबरू होंगे ,हम बदलाव ला सकते है लेकिन लायेगे नहीं ,क्यू की प्यार अँधा होता है इसलिये आदमी अँधा हो जाता है।
एक गाना याद आया (,प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो ) ,लेकिन आज के दिन नाम लेना जरूरी हो गया है ,अच्छा भी है कम से कम हम कईयों को धोखा तो नहीं दे पा रहे है ,खुद ही इस चक्र्व्वोह मे फ़साने लगे ,मैने fb पर एक पोस्ट देखी सरदार भगत सिंह को दर्शा कर कहा गया की हमे भूल ना जाना आज के दिन ही फांशी की सजा सुनाई गयी थी। एक सच्चा प्रेमी जो अपना प्रेम दर्शा गया। हम ऐसा नहीं कर पा रहे क्यू की हम प्यार को जो परिभासित करने लगे ,दिल की तरंगो पर भी सक करने लगे ,इसलिए हमारा दिल एंड दिमाग संकुचित हो गया।
कहीं कहीं कार्टूनों मे वेलेंटाइन को बेलन टाइट बताया गया ,पति को मार कर बेलन टागं दिया गया।,हो गया वेलेंटाइन। अछा है कलम वाली बाई भी ,वेलेंटाइन पर छूटी पर गयी होगी। कुछ भी हो हर साल तो आता ही है वेलेंटाइन अबकी नहीं तो अगले साल मनाएंगे ,लेकिन दिल को संकुचित रख कर नहीं।
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