Monday 2 February 2015

dil ki14 (jaaney waley ki aawaj)

बार बार जिंदगी ख्वाबो के  मुहाने पर जा कर सोचने को विवश करती है ,

बिछड़े हुए लोगो का  तरह सवाल बन कर उभड़ती है ,

कितनी जल्दी भूल जाते हो मुशफ़िर  अपनी मंजिल ,

रास्ते मिलेंगे कितने  हमारी तरह ,क्यू अभी से घबड़ाते हो।

हमने भी देखी थी तेरी ये दुनिया ,

कुछ मतलबी ,फरेबी ,दिलजलों ,वफ़ादार भरी चंचल बगियाँ ,

देख के चलना यहाँ नाहक़ ही झूठी भी शान बनाते है ,

तेरा बनेगा ठिकाना ,फुर्सत मिले तो हमे भी बताना ,

मिलोगे फिर हमसे इक मंजिल पर ,

जाते जाते कुछ नया इस दुनिया को दिखाना।





 

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