बार बार जिंदगी ख्वाबो के मुहाने पर जा कर सोचने को विवश करती है ,
बिछड़े हुए लोगो का तरह सवाल बन कर उभड़ती है ,
कितनी जल्दी भूल जाते हो मुशफ़िर अपनी मंजिल ,
रास्ते मिलेंगे कितने हमारी तरह ,क्यू अभी से घबड़ाते हो।
हमने भी देखी थी तेरी ये दुनिया ,
कुछ मतलबी ,फरेबी ,दिलजलों ,वफ़ादार भरी चंचल बगियाँ ,
देख के चलना यहाँ नाहक़ ही झूठी भी शान बनाते है ,
तेरा बनेगा ठिकाना ,फुर्सत मिले तो हमे भी बताना ,
मिलोगे फिर हमसे इक मंजिल पर ,
जाते जाते कुछ नया इस दुनिया को दिखाना।
बिछड़े हुए लोगो का तरह सवाल बन कर उभड़ती है ,
कितनी जल्दी भूल जाते हो मुशफ़िर अपनी मंजिल ,
रास्ते मिलेंगे कितने हमारी तरह ,क्यू अभी से घबड़ाते हो।
हमने भी देखी थी तेरी ये दुनिया ,
कुछ मतलबी ,फरेबी ,दिलजलों ,वफ़ादार भरी चंचल बगियाँ ,
देख के चलना यहाँ नाहक़ ही झूठी भी शान बनाते है ,
तेरा बनेगा ठिकाना ,फुर्सत मिले तो हमे भी बताना ,
मिलोगे फिर हमसे इक मंजिल पर ,
जाते जाते कुछ नया इस दुनिया को दिखाना।
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