मैने दिल से पुछा की तू चाहता क्या है ,
दिल ने कहा उसका दीदार
मैने धड़कन से पुछा तू करता क्या है
धड़कन ने कहा उसका इन्तजार
सांसो से पुछा तू चलता क्यू है
सांसो ने कहा ,उस तक पहुचने की आस
ओ मिल गयी अचानक से एक दिन
उसने पुछा तू चाहता क्या है ?
सब ने मिल कर पुछा की क्या यही है तेरा प्यार ,
मैं निशब्द हो ,घूरने लगा सबको ,
मैं दिखा तो नहीं सकता,
आवाज़ नहीं लगा सकता ,
चुप भी नहीं रह सकता ,
थाम कर उनके हाथों को ,
नजरों का सहारा लिया।
झूठ बोलेंगी क्या ओ मुझसे ,
जब नज़रो ने उनका ही साथ छोड़ दिया।
गवाह बन दो मोती(आँसुओ ) ने
मुझसे नाता जोड़ लिया।
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